धर्मं मेरा राष्ट्रवाद कर्म मेरा राष्ट्रवाद

धर्मं मेरा राष्ट्रवाद कर्म मेरा राष्ट्रवाद

धर्मं मेरा राष्ट्रवाद कर्म मेरा राष्ट्रवाद,
आदि से अनंत तक क्षण क्षण समर्पित राष्ट्रवाद।

कश्मीर से कन्याकुमारी, कण कण है धरा मुझको प्यारी,
माँ तुम्हारी सेवा में हॅसकर समर्पित साँसे सारी।
निज हित नहीं निज देश हित बस इतना ही मेरा अपराध,
धर्मं मेरा राष्ट्रवाद कर्म मेरा राष्ट्रवाद,
आदि से अनंत तक क्षण क्षण समर्पित राष्ट्रवाद।

बात हो जब मान की या तेरे सम्मान की,
सुन सको माँ तुम नाम मेरा जब गाथा हो बलिदान की।
इक बार नहीं शत बार मरू करते हुये तेरा धन्यवाद
धर्मं मेरा राष्ट्रवाद कर्म मेरा राष्ट्रवाद,
आदि से अनंत तक क्षण क्षण समर्पित राष्ट्रवाद।

नवयुग का आवाहन है, तेरी परंपरा अति पावन है,
तुझको चुनौती दे सके, नहीं हुआ ऐसा कोई रावण हैं।  
इस देश की है ये आवाज़, है ये विश्वविजय का शंखनाद,
धर्मं मेरा राष्ट्रवाद कर्म मेरा राष्ट्रवाद,

आदि से अनंत तक क्षण क्षण समर्पित राष्ट्रवाद।

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